ज़िन्दगी कि इस कशमकश में हम कई ज़रूरी काम अधूरे छोड़ जाते हैं
कई बातें अनकही रह जाती हैं।
अफ़सोस इस बात का नही कि हम इन्हे वक़्त पर न कर सके, मगर
अफ़सोस इस बात का है कि येः एहसास होने के बावजूद भी , हम इन्हे अधूरा ही छोड़ दिए।
Thursday, November 12, 2009
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