Monday, June 15, 2009

Guftugu with Aparna Upadhayay.

AU: कश्ती भी नही बदली ,
दरिया भी नही बदला ,
और दूब्नेवालों का जज्बा भी नही बदला,
है इश्क-ऐ-समुन्दर ऐसा,
एक उमर से भी यारों ,
मंजिल भी नही पायी, रास्ता भी नही बदला।

FA: इश्क है ही ऐसा की इसमे हर ज़ख्म मज़ा देता है,
नजाने कितने बार इस समुन्दर में डूबे हैं पर,
हर बार उनको पाने का जज्बा,
दीवानगी की एक और हद पार कर गया है।

On the back of an autorickshaw in Nagpur

जिसके साए में हम चलते हैं, उसका साया हमें कभी दिखता नही ।
रोज़ी तोः सबको मिलती है पर देने वाला दिखता नही ।

Tuesday, June 9, 2009

What is your OPINION on this subject??

First they ask you your opinion.

When you dont have, they ask you to form it.

Then they ask you to justify it.

Then they ask you to defend it.

Then, finally, they ask you to fight for it.

Friday, June 5, 2009

कम्बक्त दिल उन्हें इतना न याद कर कि कहीं खुदा नाराज़ न हो जाए ।
इतना याद खुदा को करले, कम से कम मौत के बाद जन्नत तो नसीब हो जाए ।