Monday, June 15, 2009

On the back of an autorickshaw in Nagpur

जिसके साए में हम चलते हैं, उसका साया हमें कभी दिखता नही ।
रोज़ी तोः सबको मिलती है पर देने वाला दिखता नही ।

No comments:

Post a Comment