AU: कश्ती भी नही बदली ,
दरिया भी नही बदला ,
और दूब्नेवालों का जज्बा भी नही बदला,
है इश्क-ऐ-समुन्दर ऐसा,
एक उमर से भी यारों ,
मंजिल भी नही पायी, रास्ता भी नही बदला।
FA: इश्क है ही ऐसा की इसमे हर ज़ख्म मज़ा देता है,
नजाने कितने बार इस समुन्दर में डूबे हैं पर,
हर बार उनको पाने का जज्बा,
दीवानगी की एक और हद पार कर गया है।
Monday, June 15, 2009
On the back of an autorickshaw in Nagpur
जिसके साए में हम चलते हैं, उसका साया हमें कभी दिखता नही ।
रोज़ी तोः सबको मिलती है पर देने वाला दिखता नही ।
रोज़ी तोः सबको मिलती है पर देने वाला दिखता नही ।
Tuesday, June 9, 2009
What is your OPINION on this subject??
First they ask you your opinion.
When you dont have, they ask you to form it.
Then they ask you to justify it.
Then they ask you to defend it.
Then, finally, they ask you to fight for it.
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